भारतीय विचारकों व मनीषियों ने मानव के कल्याण का आधार ज्ञान को माना है। ज्ञान प्राप्ति का उत्तम स्थान गुरुकुल एवं उत्तम उपाय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का सृजन हमारे ऋषियों की विश्व को अनुपम देन है। बालक का चहुंमुखी विकास करने एवं उसके व्यवहार पर सूक्ष्मता से निगरानी रख उसे व्यावहारिक एवं सामाजोपयोगी बनने में गुरुकुल में विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। 19वीं सदी के महान् दार्शनिक व मानव सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्रेष्ठ आचार्यों की देख-रेख में गुरुकुल शिक्षा पद्धति को मानव निर्माण का सर्वश्रेष्ठ स्थल बतलाया है। स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने स्वामी दयानन्द सरस्वती के कथन को सार्थक सिद्ध करने के लिए गुरुकुलों की स्थापना व संचालन कर दुनिया के सामने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। गृहस्थ जीवन के अनेक उत्तरदायित्वों के कारण माता-पिता पूरी तरह से अपने बालक के सर्वांगीण विकास में समय नहीं दे पाते। इस बात को ध्यान में रखकर गुरुकुल विश्वभारती माता-पिता व अभिभावकों की आशा का केन्द्र बनकर उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संचालित किया जा रहा है। आधुनिक शिक्षा पद्धति व सनातन संस्कारों को आधार बनाकर विद्यालय में अपने विषय के श्रेष्ठ अध्यापकों द्वारा अध्यापन किया जा रहा है। ब्रह्मचर्य आश्रम (छात्रावास) में गुणवान् संरक्षकों की मातृवत् छत्र-छाया में रहकर छात्र स्वयं को उच्च मानदण्डों पर विकसित कर रहा है। गुरुकुल से पढ़कर छात्र समाज से अज्ञान, अन्याय, अभाव को समाप्त कर सकने में सक्षम हों इसके लिए हम सतत प्रयत्नशील हैं। बालक सरल, सहज, धैर्यवान्, निर्भीक, साहसी, दयालु, परस्पर सहयोगी, परोपकारी स्वभाव, कर्त्तव्यपरायण, नायक, समाजसेवी, धार्मिक विद्वान्, सुशील बने व अन्धविश्वास, पाखण्ड आदि से दूर रहे इस पर सूक्ष्मता से ध्यान रखा जा रहा है। आपका बालक सद्गुणों से परिपूर्ण हो इसके लिए हम सदैव उसके सहयोगी रहते हैं। आपने अपने बालक की सर्वोन्नति के लिए गुरुकुल विश्वभारती के चयन को प्राथमिकता प्रदान कीजिए, इसके लिए हम आपके धन्यवादी व आभारी हैं।