3 Feb 2025, 3:26 pm

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गुरुकुल विश्वभारती (गुरुकुल हाई स्कूल)

भैयापुर, लाढ़ौत रोड, रोहतक, हरियाणा - 124401

सीबीएसई से सहबद्ध नई दिल्ली ( एफिलिएशन कोड - 531114, स्कूल कोड - 41088 )

Swami Dayanand
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गुरुकुल विश्वभारती

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गुरुकुल विश्वभारती (गुरुकुल हाई स्कूल)

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Welcome to Gurukul Vishwabharti (Gurukul High School, Ladhot Road, Rohtak )

उद्देश्य

इस गुरुकुल की शिक्षा पद्धति का प्रमुख उद्देश्य शहरों के दूषित वातावरण से परे प्रकृति की नैसर्गिक गोद में बैठकर सुकुमार मति विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना, स्वास्थ्य एवं चरित्र निर्माण, सामाजिक कुशलता का विकास, सांस्कृतिक संरक्षण प्राप्ति, सादा जीवन-उच्च विचार पैदा करना, अपरिग्रह को अपनाकर जीवन में पूर्णता लाना, ज्ञान का दीप जलाकर अज्ञानता के अन्धकार को मिटाना, उन्हें समाज, सभ्यता एवं संस्कृति के प्रति जागरूक करना, उनकी सकारात्मक मनोवृत्ति को बढ़ावा देना, जीवन की प्रत्येक सफलता के लिये उनको सदैव तत्पर एवं सजग रखना, रचनात्मक शक्ति को जागृत करना, सामूहिक रूप से एक साथ रहते हुए एकता के सूत्र में पिरोना, अच्छे आचरण और शिष्टाचार की शिक्षा देना आदि है।

स्थापना एवं संस्थापक

गुरुकुल विश्वभारती रोहतक के संस्थापक श्रद्धेय आचार्य हरिदत्त जी की शिक्षा गुरुकुल झज्जर तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में हुई। गुरुकुलों से आचार्य एवं एम. ए. की उपाधियां लेने के उपरान्त आपने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करने हेतु जीवन लगाने का व्रत लिया एवं विचार किया कि एक आदर्श गुरुकुल समाज को न केवल योग्य-चरित्रवान् विद्वान् स्नातक दे सकता है। अपितु वैदिक धर्म तथा विद्या के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम भी बन सकता है। इन्हीं विचारों की सार्थकता व सफलता के लिए श्री आचार्य जी ने छ: एकड़ पैत्रिक भूमि, छ: लाख रुपये नकद तथा मारूति गाड़ी समर्पित करते हुए, अपनी मनोकामना अपने दीक्षा व विद्या गुरु तपोनिष्ठ आचार्य बलदेव जी के समक्ष रखी। परिणामत: 3 मार्च 1991 विक्रम संवत् 2047 चैत्र कृष्णा तृतीया रविवार के दिन राष्ट्रीय गोशाला धड़ौली के संस्थापक नैष्ठिक ब्रह्मचारी, प्रकाण्ड विद्वान्, ऋषि कल्प महात्मा, त्याग और तप की साक्षात् मूर्त आचार्य बलदेव जी ने अपने पवित्र कर कमलों से गुरुकुल की आधारशिला रखी।

Founder Gurukul Vishwabharti

सन्देश निदेशक

भारतीय विचारकों व मनीषियों ने मानव के कल्याण का आधार ज्ञान को माना है। ज्ञान प्राप्ति का उत्तम स्थान गुरुकुल एवं उत्तम उपाय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का सृजन हमारे ऋषियों की विश्व को अनुपम देन है। बालक का चहुंमुखी विकास करने एवं उसके व्यवहार पर सूक्ष्मता से निगरानी रख उसे व्यावहारिक एवं सामाजोपयोगी बनने में गुरुकुल में विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। 19वीं सदी के महान् दार्शनिक व मानव सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्रेष्ठ आचार्यों की देख-रेख में गुरुकुल शिक्षा पद्धति को मानव निर्माण का सर्वश्रेष्ठ स्थल बतलाया है। स्वामी श्रद्धानन्द सरस्वती ने स्वामी दयानन्द सरस्वती के कथन को सार्थक सिद्ध करने के लिए गुरुकुलों की स्थापना व संचालन कर दुनिया के सामने अनुपम उदाहरण प्रस्तुत किया। गृहस्थ जीवन के अनेक उत्तरदायित्वों के कारण माता-पिता पूरी तरह से अपने बालक के सर्वांगीण विकास में समय नहीं दे पाते। इस बात को ध्यान में रखकर गुरुकुल विश्वभारती माता-पिता व अभिभावकों की आशा का केन्द्र बनकर उनकी आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए संचालित किया जा रहा है। आधुनिक शिक्षा पद्धति व सनातन संस्कारों को आधार बनाकर विद्यालय में अपने विषय के श्रेष्ठ अध्यापकों द्वारा अध्यापन किया जा रहा है। ब्रह्मचर्य आश्रम (छात्रावास) में गुणवान् संरक्षकों की मातृवत् छत्र-छाया में रहकर छात्र स्वयं को उच्च मानदण्डों पर विकसित कर रहा है। गुरुकुल से पढ़कर छात्र समाज से अज्ञान, अन्याय, अभाव को समाप्त कर सकने में सक्षम हों इसके लिए हम सतत प्रयत्नशील हैं। बालक सरल, सहज, धैर्यवान्, निर्भीक, साहसी, दयालु, परस्पर सहयोगी, परोपकारी स्वभाव, कर्त्तव्यपरायण, नायक, समाजसेवी, धार्मिक विद्वान्, सुशील बने व अन्धविश्वास, पाखण्ड आदि से दूर रहे इस पर सूक्ष्मता से ध्यान रखा जा रहा है। आपका बालक सद्गुणों से परिपूर्ण हो इसके लिए हम सदैव उसके सहयोगी रहते हैं। आपने अपने बालक की सर्वोन्नति के लिए गुरुकुल विश्वभारती के चयन को प्राथमिकता प्रदान कीजिए, इसके लिए हम आपके धन्यवादी व आभारी हैं।

Director Gurukul Vishwabharti
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