इस गुरुकुल की शिक्षा पद्धति का प्रमुख उद्देश्य शहरों के दूषित वातावरण से परे प्रकृति की नैसर्गिक गोद में बैठकर सुकुमार मति विद्यार्थियों का सर्वांगीण विकास करना, स्वास्थ्य एवं चरित्र निर्माण, सामाजिक कुशलता का विकास, सांस्कृतिक संरक्षण प्राप्ति, सादा जीवन-उच्च विचार पैदा करना, अपरिग्रह को अपनाकर जीवन में पूर्णता लाना, ज्ञान का दीप जलाकर अज्ञानता के अन्धकार को मिटाना, उन्हें समाज, सभ्यता एवं संस्कृति के प्रति जागरूक करना, उनकी सकारात्मक मनोवृत्ति को बढ़ावा देना, जीवन की प्रत्येक सफलता के लिये उनको सदैव तत्पर एवं सजग रखना, रचनात्मक शक्ति को जागृत करना, सामूहिक रूप से एक साथ रहते हुए एकता के सूत्र में पिरोना, अच्छे आचरण और शिष्टाचार की शिक्षा देना आदि है।
गुरुकुल उद्देश्य

गुरुकुल परिचय
कार्यक्रम एवं पाठ्यक्रम
एनईपी और समग्र विकास के अनुरूप शैक्षणिक मार्ग
मिडिल (कक्षा V-VIII)
प्रयोगशालाओं, कला और खेल के साथ अवधारणाओं में निपुणता।
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सेकेंडरी (कक्षा IX-X)
बोर्ड तैयारी, मार्गदर्शित मूल्यांकन और परियोजनाएँ।
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सीनियर सेकेंडरी (XI-XII)
विज्ञान/वाणिज्य/मानविकी में केंद्रित मार्गदर्शन।
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स्थापना एवं संस्थापक

संस्थापक, आचार्य हरिदत्त जी
गुरुकुल विश्वभारती रोहतक के संस्थापक श्रद्धेय आचार्य हरिदत्त जी की शिक्षा गुरुकुल झज्जर तथा गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में हुई। गुरुकुलों से आचार्य एवं एम. ए. की उपाधियां लेने के उपरान्त आपने आजीवन ब्रह्मचारी रहकर वैदिक धर्म का प्रचार-प्रसार करने हेतु जीवन लगाने का व्रत लिया एवं विचार किया कि एक आदर्श गुरुकुल समाज को न केवल योग्य-चरित्रवान् विद्वान् स्नातक दे सकता है। अपितु वैदिक धर्म तथा विद्या के प्रचार-प्रसार का सशक्त माध्यम भी बन सकता है। इन्हीं विचारों की सार्थकता व सफलता के लिए श्री आचार्य जी ने छ: एकड़ पैत्रिक भूमि, छ: लाख रुपये नकद तथा मारूति गाड़ी समर्पित करते हुए, अपनी मनोकामना अपने दीक्षा व विद्या गुरु तपोनिष्ठ आचार्य बलदेव जी के समक्ष रखी। परिणामत: 3 मार्च 1991 विक्रम संवत् 2047 चैत्र कृष्णा तृतीया रविवार के दिन राष्ट्रीय गोशाला धड़ौली के संस्थापक नैष्ठिक ब्रह्मचारी, प्रकाण्ड विद्वान्, ऋषि कल्प महात्मा, त्याग और तप की साक्षात् मूर्त आचार्य बलदेव जी ने अपने पवित्र कर कमलों से गुरुकुल की आधारशिला रखी।
सन्देश निदेशक
भारतीय विचारकों व मनीषियों ने मानव के कल्याण का आधार ज्ञान को माना है। ज्ञान प्राप्ति का उत्तम स्थान गुरुकुल एवं उत्तम उपाय गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का सृजन हमारे ऋषियों की विश्व को अनुपम देन है। बालक का चहुंमुखी विकास करने एवं उसके व्यवहार पर सूक्ष्मता से निगरानी रख उसे व्यावहारिक एवं सामाजोपयोगी बनने में गुरुकुल में विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। 19वीं सदी के महान् दार्शनिक व मानव सुधारक स्वामी दयानन्द सरस्वती ने अपने ग्रन्थ सत्यार्थ प्रकाश में श्रेष्ठ आचार्यों की देख-रेख में गुरुकुल शिक्षा पद... Read More

निदेशक, श्री नन्द किशोर जी
प्रवेश एक नज़र में
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मूल्यांकन एवं ऑफ़र
मूल्यांकन दें; प्रवेश निर्णय प्राप्त करें।
योग्यता कक्षा के अनुसार भिन्न है; विवरण प्रवेश पृष्ठ पर देखें।
पारदर्शी शुल्क संरचना और छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध।
मेधावी एवं आवश्यकता-आधारित छात्रवृत्तियाँ उपलब्ध।
हमारी उपलब्धियाँ
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उत्तीर्ण दर
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विद्यार्थी
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पुरस्कार प्राप्त
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वर्षों की उत्कृष्टता
संबद्धताएँ एवं साझेदार
हमारी सुविधाएं
अभिभावक एवं विद्यार्थी क्या कहते हैं
“गुरुकुल विश्वभारती ने मेरे बच्चे के समग्र विकास के लिए उत्तम वातावरण प्रदान किया।”
राहुल शर्मा
अभिभावक
“समर्पित शिक्षक और उत्कृष्ट सुविधाओं ने मुझे अपने शैक्षणिक लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद की।”
प्रिया वर्मा
पूर्व छात्रा
“यहाँ की मूल्य-आधारित शिक्षा ने मेरे चरित्र को आकार दिया और शिक्षा से परे जीवन के लिए तैयार किया।”
अमित कुमार
पूर्व छात्र
“उत्कृष्ट शिक्षण स्टाफ और पोषण देने वाला वातावरण। मेरी बेटी हर दिन स्कूल जाना पसंद करती है।”
सुनीता देवी
अभिभावक

15 दिसंबर 2023
वार्षिक समारोह दिवस 2023
विभिन्न प्रतियोगिताओं और गतिविधियों के साथ हमारे वार्षिक समारोह में शामिल हों।
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5 जनवरी 2024
खेल मिलन 2024
छात्रों और शिक्षकों ने वार्षिक खेल मिलन में भाग लिया।
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20 जनवरी 2024
कुरुक्षेत्र यात्रा 2024
छात्रों और शिक्षकों ने सांस्कृतिक और शैक्षिक यात्रा के लिए कुरुक्षेत्र का दौरा किया।
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अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न
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